बी ए - एम ए >> बीए सेमेस्टर-3 इतिहास बीए सेमेस्टर-3 इतिहाससरल प्रश्नोत्तर समूह
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बीए सेमेस्टर-3 इतिहास
अध्याय - 5
ईस्ट इंडिया कम्पनी का क्षेत्रीय विस्तार - II
(1786- 1793 लार्ड कार्नवालिस)
Territorial Expansion of the East India Company - II
(1786-1793 Lord Cornwallis)
प्रश्न- लार्ड कॉर्नवालिस के सुधारों की विवेचना कीजिए।
अथवा
स्थाई बन्दोबस्त से आप क्या समझते हैं? इसके गुण-दोषों की व्याख्या कीजिए।
अथवा
लॉर्ड कार्नवालिस के भूमि एवं न्याय सुधारों का वर्णन कीजिए।
अथवा
स्थाई बन्दोबस्त व्यवस्था के प्रभाव बताइये।
सम्बन्धित लघु उत्तरीय प्रश्न
1. लार्ड कॉर्नवालिस के राजस्व सुधारों पर प्रकाश डालिए।
2. स्थाई बन्दोबस्त भूमि पद्धति क्या थी?
3. बंगाल के स्थाई बन्दोबस्त के गुण तथा दोषों को बताइये।
4. लार्ड कॉर्नवालिस के प्रशासनिक सुधारों पर प्रकाश डालिए।
5. लार्ड कॉर्नवालिस ने न्यायिक क्षेत्र में क्या सुधार किए थे? प्रकाश डालिए।
6. लॉर्ड कॉर्नवालिस के प्रशासनिक तथा न्याय सम्बन्धी सुधारों का वर्णन कीजिए।
7. भूमि राजस्व के स्थाई बन्दोबस्त की मुख्य विशेषताएँ क्या थीं?
अथवा
लार्ड कॉर्नवालिस के प्रशासनिक सुधारों का वर्णन कीजिए।
उत्तर -
कॉर्नवालिस के सुधार
1786 में, पिट्स इण्डिया एक्ट के इस प्रावधान कि बंगाल के गवर्नर को उसकी परिषद की राय मानने की बाध्यता नहीं होगी, तथा भारत की लगान व न्याय व्यवस्था तथा कम्पनी के व्यापार- विभाग को सुव्यवस्थित करने के लिए कार्नवालिस को भारत भेजा गया। यद्यपि हेस्टिंग्स ने व्यापार-बोर्ड, लगान बोर्ड व उत्तम न्यायालय सहित विभिन्न सदर दीवानी व सदर फौजदारी अदालतें नियुक्त की थीं। शासन की एक रूपरेखा तैयार की जा चुकी थी किन्तु उनमें और सुधार की गुंजाइश थी।
उसने इस दिशा में कार्य भी किया। उसने भ्रष्ट कर्मचारियों को दण्डित किया व उनका वेतन बढ़ाया और उन्हें भारत छोड़ने से पूर्व सम्पूर्ण सम्पत्ति घोषित करने का निर्देश दिया। उसने कानूनों का संग्रह कराकर न्याय व्यवस्था को नया रूप दिया तथा कानून व्यवस्था स्थापित करने के लिए पुलिस सेवा का आरम्भ किया। यद्यपि वहाँ की परिस्थितियों से अनभिज्ञ था किन्तु उसने उन सभी व्यक्तियों से विमर्श व सहयोग लिया जो भारत में उसके पहले से थे व भारत की परिस्थितियों से अवगत थे। उसने यद्यपि हेस्टिंग्स के सुधारों को ही आधार बनाया किन्तु हेस्टिंग्स और कार्नवालिस के सुधारों में सिद्धान्त का नहीं बल्कि केवल व्यावहारिक प्रयोग का अन्तर था जैसे -
(i) बंगाल का स्थाई बन्दोबस्त ( राजस्व सुधार ) - कॉर्नवालिस को बंगाल में कई वर्षों के लिए लगान व्यवस्था स्थापित करने का स्पष्ट निर्देश कम्पनी के डायरेक्टरों द्वारा दिया गया था किन्तु लगान- व्यवस्था को लेकर कई प्रकार की समस्याएँ थीं कि समझौता किससे किया जाए- किसान से या जमींदार से, लगान का हिस्सा कितना हो और समझौता स्थाई हो या कुछ वर्षों के लिए। इन मुद्दों पर विवाद कार्नवालिस की कौंसिल के सदस्यों में भी था। जॉन शोर जमींदारों से समझौते का पक्षधर था क्योंकि वह मानता था कि जमींदार भूमि का मालिक होता है और राज्य को उससे ही लगान वसूल करना चाहिए। यही बाद में कार्नवालिस की भी राय बनी। जॉन शोर के अनुसार 1790-91 में वसूला गया राजस्व ही लगाने का आधार बना। कार्नवालिस की समिति में लगान व्यवस्था को कुछ वर्षों के लिए नियत करने पर सहमति थी किन्तु कार्नवालिस व कम्पनी के निदेशक इसे स्थाई करने के पक्ष में थे। इस प्रकार जो व्यवस्था सामने आई वह इस प्रकार थी -
(i) कम्पनी के लिए 90% उपज लगान के रूप में निर्धारित किया गया। जमींदारों को भूमि का स्वामी मान लिया गया और यह अधिकार पैतृक माना गया। वे तब तक उस भूमि के मालिक माने जायेंगे जब तक वह कम्पनी को निश्चित राजस्व अदा करते रहेंगे। इसके अनुसार 9/10 भाग कम्पनी को व 1/10 भाग जमींदारों को मिलना नियत किया गया।
(ii) जमींदार भूमि को खरीद बेच सकने का अधिकार रखते थे क्योंकि सरकार ने भूमि को उनकी सम्पत्ति मान ली थी।
(iii) सरकार ने किसानों से कोई सौदा नहीं किया।
(iv) यह व्यवस्था 10 वर्ष व 10 वर्ष के आगे जारी रहने की शर्त पर की गई थी।
स्थाई बन्दोबस्त का मूल्याँकन
इसके सम्बन्ध में विभिन्न मत दिए गए हैं। मार्शमैन के अनुसार, "यह साहस, बहादुरी तथा बुद्धिमानी का कार्य था। इस प्रादेशिक अधिकार-पत्र के प्रभाव के कारण जिसने प्रथम बार भूमि के स्थायी लगान और अधिकारों को स्थापित किया, जनसंख्या में वृद्धि हुई, कृषि में उन्नति हुई और व्यक्तियों के स्वभाव व सुविधाओं में धीरे-धीरे स्पष्ट रूप से सुधार दिखाई दिया है। किन्तु इसके दोष भी स्पष्ट हुए और उनकी तीखी आलोचनाएं भी हुई हैं। थॉर्नटन के अनुसार, "कार्नवालिस का स्थायी बन्दोवस्त अज्ञानता के गम्भीर प्रभाव के कारण किया गया था।'
गुण -
1. भू-राजस्व की दर स्थाई हो जाने से कृषि सुधार की प्रेरणा जमींदार व कृषकों को मिली।
2. इस प्रणाली के बाद बंगाल में कोई अकाल नहीं पड़ा क्योंकि दैवी प्रकोप के समय भी कृषकों के पास पर्याप्त अन्न-धन रहने लगा जिससे वे स्वयं की रक्षा कर सकते थे।
3. जमींदारों व कृषकों में अपनी भूमि के प्रति ममत्व की भावना विकसित हुई और वे अपने परिश्रम का लाभ उठाकर समृद्ध होने लगे।
4. इस प्रणाली के लागू करने के समय भू-कर भूमि के किराए का 90% निर्धारित किया गया जो स्थाई बनने के कारण वर्तमान में कृषि सुधार के कारण 28% ही रह गया।
5. पूर्व प्रचलित बढ़ते हुए निरन्तर भू-राजस्व एवं उसकी वसूली की क्रूरता से जमींदार व कृषकों को राहत मिल गई।
6. भू-राजस्व की दूषित प्रणाली के कारण जो काफी भूमि बंजर हो गई थी, अब कृषि योग्य बन गई तथा सरकार को उससे आय होने लगी। इस प्रणाली की सफलता के आधार पर ही इंग्लैण्ड में भी प्रधानमन्त्री विलियम पिट ने भू-राजस्व स्थाई कर दिया।
दोष -
1. कुछ जमीदार दो गुना भू-राजस्व वसूलते थे। अब कृषकों की शिकायत सुनने वाला कोई न था।
2. विकास कर के नाम से अंग्रेजों ने 6-% की दर से नया कर भी लगाया जिससे भू-राजस्व में वृद्धि हुई और उसे स्थायित्व नहीं मिला।
3. कर निर्धारण में कृषकों का कोई प्रतिनिधित्व नहीं था। अतः मनमाना कर निर्धारित होता रहा।
4. रेलों के विकास में अधिक ध्यान देने के कारण कृषि उत्पादन में वृद्धि नहीं हुई।
5. भू-राजस्व से एकत्रित धन अंग्रेजों द्वारा विदेश भेजा गया जो भारत से कच्चा माल खरीदने तथा मशीन से उत्पादित माल भारत में बेचने पर खर्च किया गया। इससे भारत में कृषि आधारित उद्योगों की अवनति होती गई।
6. इस बन्दोबस्त से ब्रिटिश कम्पनी को भी हानि हुई। कृषि के उत्पादन में वृद्धि होने से सरकार के लगान में कोई वृद्धि नहीं होती थी क्योंकि यह पहले ही नियत किया जा चुका था। इसका लाभ सिर्फ जमींदारों को था।
7. नया बिचौलिया वर्ग उत्पन्न होने से उच्च स्तर पर सामन्तवादी शोषण व निम्न स्तर पर दासता की भावना को प्रोत्साहन प्राप्त हुआ।
(ii) प्रशासनिक सुधार - कम्पनी की सेवाओं में वेतन कम होने के कारण व्यक्तिगत व्यापार, उपहार, नजराने व रिश्वत का प्रसार होने के कारण भ्रष्टाचार व्याप्त था। इस सबके लिए उसने कई काम किए। उसने वेतन बढ़ाने के साथ रिश्तेदारों व विभिन्न फर्जी नाम से किए जाने वाले व्यापार को व्यक्तिगत व्यापार सहित प्रतिबन्धित कर दिया। कम्पनी के प्रशासनिक पदों पर ज्यादा-से-ज्यादा अंग्रेजों को नियुक्त करने की नीति जारी की क्योंकि वह भारतीयों से घृणा करता था। उसने बंगाल के विभाजन को कम करने के लिए 55 जिलों को कमकर 23 जिलों में बाँटा। व्ययाधिक्य को समाप्त करने के लिए काफी सारे अनुपयोगी पदों को समाप्त कर दिया गया। कलेक्टरों से असैनिक न्याय के अधिकार छीन लिए गए और ये अधिकार लगान बोर्ड या असैनिक न्यायालयों को दे दिया गया। इस सबके अलावा उसने केवल योग्यता को ही पद प्राप्ति के लिए मापदण्ड बनाया। सिफारिशों पर उसने पद देना समाप्त कर दिया।
(iii) व्यापारिक सुधार - भारत में कम्पनी को निरन्तर हानि हो रही थी और कर्मचारियों को व्यक्तिगत लाभ हो रहा था। इस विरोधाभास का कारण भ्रष्टाचार था। भारत से व्यापार पहले व्यापार- बोर्ड करता था फिर वह अंग्रेज रेजीडेण्टों के द्वारा होता था। किन्तु बोर्ड के सदस्यों व रेजीडेण्टों के भ्रष्टाचार के कारण कम्पनी को वस्तुएं ऊँची कीमत पर तथा अपर्याप्त मात्रा में मिलती थीं। भारतीय कारीगरों के साथ भी इनका व्यवहार सर्वथा अन्यायपूर्ण था। इसे सुधारने के लिए कार्नवालिस ने निम्न कार्य किए -
1. व्यापार का अधिकार पुनः व्यापार बोर्ड को दे दिया गया।
2. व्यापार बोर्ड के सदस्यों की संख्या 11 से घटाकर 5 कर दी गई।
3. वस्तुओं को खरीदने और बेचने के लिए कमीशन के आधार पर व्यापारिक प्रतिनिधि नियुक्त किए गए 1
(iv) पुलिस व्यवस्था में सुधार - भारतीय जमींदार पुलिस व्यवस्था भी देखते थे। कॉर्नवालिस ने पुलिस व्यवस्था उनके हाथों से ले लिया। पुलिस सुपरिटेण्डेण्ट के अधिकारों को स्पष्ट कर वेतन वृद्धि की गई। थानों की स्थापना की गई और भारतीय दरोगा और सिपाहियों की नियुक्ति की गई। कार्नवालिस ने जेलों के प्रबन्ध व अधिकार भारतीयों के हाथों से ले लिया और यह अधिकार अंग्रेज 'न्यायाधीश को सौंप दिया। कुछ नई जेलों का निर्माण कराया और कैदियों के स्वास्थ्य व सुधार के लिए सरकार को उत्तरदायी माना गया।
(v) न्यायिक सुधार - न्याय के मामले में भी वह वारेन हेस्टिंग्स का उत्तराधिकारी था। रॉर्नवालिस ने दीवानी तथा फौजदारी अदालतों की एक श्रृंखला बना डाली जिसमें मुंसिफ, रजिस्ट्रार तथा जिला अदालतों थीं। यहाँ से अपीलें 4 प्रान्तीय अदालतों में हो सकती थीं। सबसे ऊपर गवर्नर जनरल तथा उसकी परिषद थी, जो सदर दीवानी अदालत के रूप में कार्य करती थी। अन्त में कुछ विशेष मामलों के लिए अन्तिम न्यायालय इंग्लैण्ड में स्थित प्रिवी कौंसिल थी।
पहले दीवानी अदालतों के न्यायाधीशों को दीवानी मामलों के अतिरिक्त फौजदारी मुकदमे भी सुनने होते थे तथा उन्हें फौजदारी अदालतों को भेजना होता था। इस प्रकार दीवानी न्यायाधीशों और कलेक्टरों के अधिकार क्षेत्र आपस में टकराते थे। कॉर्नवालिस ने इसे सुधार कर 1793 में दोनों कार्य पृथक् कर दिए। कलेक्टर अब केवल राजस्व से सम्बन्धित रह गया तथा दीवानी, फौजदारी तथा पुलिस कार्य जिला न्यायाधीश के पास रह गए। इस प्रकार कलेक्टर की शक्ति इतनी बढ़ी कि वही राज्य का प्रतिनिधि बन गया। इस सबके अलावा कार्नवालिस ने मुस्लिम फौजदारी कानून को हटाकर अंग्रेजी फौजदारी कानून भी लागू किया।
इस प्रकार कॉर्नवालिस ने विभिन्न प्रकार के सुधार करके भारत में कम्पनी के शासन को सुधारने का प्रयास किया। उसने जो व्यवस्था स्थापित की वह अगले दो दशकों तक बिना परिवर्तन के जारी रही। यद्यपि ये सुधार दोषरहित न थे जैसे स्थाई व्यवस्था कृषकों के हितों में न थे और न्यायालयों की स्थापना के बावजूद गरीब जनता न्याय पा सकने में असमर्थ थी फिर भी उसके सुधार सही दिशा में सही कदम थे। पी० ई० राबर्टस के अनुसार, "बहुत कम व्यक्ति इतना स्थायी कार्य कर सके जितना कार्नवालिस ने किया और वह भी मुख्यतः आन्तरिक प्रशासन के क्षेत्र में '
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- प्रश्न- भारत में सर्वप्रथम प्रवेश करने वाले विदेशी व्यापारी कौन थे? विस्तृत वर्णन कीजिए।
- प्रश्न- भारत में डच शक्ति के आगमन को समझाते हुए डचों के पुर्तगालियों व अंग्रेजों से हुए संघर्षो पर प्रकाश डालिए।
- प्रश्न- भारत में पुर्तगालियों के पतन के कारणों का उल्लेख कीजिए।
- प्रश्न- फ्रांसीसियों के भारत आगमन एवं भारत में फ्रांसीसी शक्ति के विस्तार को समझाइए।
- प्रश्न- यूरोपीय डच कम्पनी पर संक्षिप्त टिप्पणी लिखिए।
- प्रश्न- अंग्रेजों का भारत में किस प्रकार प्रवेश हुआ संक्षिप्त टिप्पणी लिखिए।
- प्रश्न- यूरोपीय फ्रांसीसी कंपनी पर संक्षिप्त टिप्पणी लिखिए।
- प्रश्न- पुर्तगालियों की सफलता के कारण बताइये।
- प्रश्न- पुर्तगालियों के असफलता के कारण बताइये।
- प्रश्न- आंग्ल-फ्रेंच संघर्ष के विषय में बताते हुए इसके मुख्य कारणों पर प्रकाश डालिये।
- प्रश्न- "अपनी अन्तिम असफलता के बावजूद भी डूप्ले भारतीय इतिहास का एक प्रतिभावान एवं तेजस्वी व्यक्तित्व है।" क्या आप प्रो. पी. ई. राबर्ट्स के डूप्ले की उपलब्धियों के सम्बन्ध में इस कथन से सहमत हैं?
- प्रश्न- भारत में अंग्रेजों की सफलता के क्या कारण थे?.
- प्रश्न- ईस्ट इंडिया कम्पनी के अधीन भारत में हुए सामाजिक और आर्थिक अभावों का वर्णन कीजिए।
- प्रश्न- अंग्रेजी कम्पनी के अधीन भारत में सामाजिक एवं धार्मिक सुधारों का वर्णन कीजिए।
- प्रश्न- "भारत में फ्राँसीसियों की असफलता का कारण डूप्ले था।' इस कथन को स्पष्ट कीजिए।
- प्रश्न- भारत में साम्राज्य स्थापित करने में अंग्रेजों की सफलता के कारण बताइये।
- प्रश्न- प्लासी के युद्ध के कारण व परिणामों की विवेचना कीजिए।
- प्रश्न- बक्सर के युद्ध के कारण व परिणामों की विवेचना कीजिए।
- प्रश्न- कर्नाटक के युद्ध अंग्रेजों और फ्रांसीसियों की सदियों से परम्परागत शत्रुता का परिणाम थे, विवेचन कीजिये।
- प्रश्न- द्वितीय कर्नाटक युद्ध के कारणों और परिणामों की व्याख्या कीजिए।
- प्रश्न- उन महत्त्वपूर्ण कारणों का उल्लेख कीजिए जिनसे भारत में प्रभुत्व स्थापना के संघर्ष में फ्रांसीसियों को पराजय और अंग्रेजों को सफलता मिली।
- प्रश्न- क्लाइव की द्वितीय गवर्नरी में उसके कार्यों की समीक्षा कीजिये।
- प्रश्न- क्लाइव द्वारा बंगाल में द्वैध शासन की विवेचना कीजिये।
- प्रश्न- भारत में लार्ड क्लाइव के कार्यों का आलोचनात्मक मूल्यांकन कीजिये।
- प्रश्न- "प्रथम अफगान युद्ध भारत के इतिहास में अंग्रेजों की सबसे गम्भीर भूल थी।' समीक्षात्मक मूल्यांकन कीजिए।
- प्रश्न- भारत में आंग्ल- फ्रांसीसी संघर्ष क्या था? इसके महत्त्व की विवेचना कीजिए।
- प्रश्न- द्वैध शासन व्यवस्था के गुण एवं दोषों की विवेचना कीजिए।
- प्रश्न- प्रथम आंग्ल-अफगान युद्ध के कारणों एवं परिणामों की विवेचना कीजिए।
- प्रश्न- बंगाल के कठपुतली नवाबों के कार्यकाल पर प्रकाश डालिए।
- प्रश्न- बंगाल के द्वैध शासन से आप क्या समझते हैं?
- प्रश्न- द्वैध शासन की असफलता के क्या कारण थे?
- प्रश्न- कालकोठरी की दुर्घटना क्या थी?
- प्रश्न- नवाब सिराजुद्दौला के कार्यों पर प्रकाश डालिए।
- प्रश्न- भारत में डच शक्ति के उत्थान पर संक्षिप्त टिप्पणी लिखिए।
- प्रश्न- बक्सर का युद्ध (1764) तथा उसके महत्व की विवेचना कीजिए।
- प्रश्न- लॉर्ड क्लाइव द्वारा किये गये सुधारों का वर्णन कीजिए।
- प्रश्न- 'क्लाइव भारत में ब्रिटिश साम्राज्य का वास्तविक संस्थापक था। स्पष्ट कीजिए।
- प्रश्न- इलाहाबाद की सन्धि की प्रमुख शर्तें क्या थीं?
- प्रश्न- प्लासी युद्ध के महत्व की विवेचना कीजिए।
- प्रश्न- अलीनगर की सन्धि (सन् 1757 ई.) बताइये।
- प्रश्न- सिराजुद्दौला के विरुद्ध अंग्रेजों के मीर जाफर के साथ षड्यंत्र को स्पष्ट कीजिए।
- प्रश्न- प्लासी के युद्ध (सन् 1757 ई.) के परिणाम बताइये।
- प्रश्न- राबर्ट क्लाइव के विषय में आप क्या जानते हैं?
- प्रश्न- बक्सर के युद्ध का महत्त्व बताइये।
- प्रश्न- बंगाल में द्वैध शासन का संक्षिप्त वर्णन कीजिये।
- प्रश्न- कालकोठरी की दुर्घटना क्या थी?
- प्रश्न- वारेन हेस्टिंग्स के सुधारों की विवेचना कीजिए।
- प्रश्न- वॉरेन हेस्टिंग्ज के अधीन विदेशी सम्बन्धों की विवेचना कीजिए।
- प्रश्न- 1773 के रेग्युलेटिंग ऐक्ट के गुण-दोष क्या थे?
- प्रश्न- हैदर अली के कार्यों पर प्रकाश डालिए।
- प्रश्न- प्रथम आंग्ल मराठा युद्ध के कारणों एवं परिणामों की विवेचना कीजिए।
- प्रश्न- वॉरेन हेस्टिंग्ज के प्रशासनिक एवं राजस्व सुधारों पर एक संक्षिप्त टिप्पणी लिखिए।
- प्रश्न- वारेन हेस्टिंग्स के समय नन्दकुमार का क्या मामला था?
- प्रश्न- मराठों के पतन के क्या कारण थे?
- प्रश्न- पानीपत के युद्ध की प्रमुख घटनाएँ क्या थीं?
- प्रश्न- वारेन हेस्टिंग्स के समय अवध की बेगमों का क्या मामला था?
- प्रश्न- लार्ड कॉर्नवालिस के सुधारों की विवेचना कीजिए।
- प्रश्न- बंगाल की स्थायी भूमि कर व्यवस्था पर प्रकाश डालिए।
- प्रश्न- कार्नवालिस ने वॉरेन हेस्टिंग्ज का कार्य पूर्ण किया। विवेचना कीजिए।
- प्रश्न- तृतीय मैसूर युद्ध के क्या कारण थे?
- प्रश्न- भूमि कर नीति पर संक्षिप्त टिप्पणी लिखिए।
- प्रश्न- एक साम्राज्य निर्माता के रूप में वेलेजली की भूमिका का मूल्याँकन कीजिए।
- प्रश्न- टीपू और वेलेजली के मध्य चतुर्थ आंग्ल-मैसूर युद्ध की कारणों सहित व्याख्या कीजिए।
- प्रश्न- लार्ड वेलेजली की सहायक सन्धि प्रणाली को समझाते हुए उसके गुण-दोषों की विवेचना कीजिए।
- प्रश्न- वेलेजली तथा फ्रांसीसियों के बीच सम्बन्धों की विवेचना कीजिये।
- प्रश्न- टीपू सुल्तान की पराजय के कारण बताइए।
- प्रश्न- वेलेजली के अधीन अंग्रेजी साम्राज्य के विस्तार एवं कंपनी के प्रदेश की सीमाओं पर संक्षिप्त टिप्पणी लिखिए।
- प्रश्न- लार्ड वेलेजली के आगमन के समय भारत की राजनीतिक स्थितियाँ क्या थीं?
- प्रश्न- वेलेजली की सहायक सन्धि की शर्तें क्या थीं?
- प्रश्न- वेलेजली के अवध के साथ सम्बन्ध पर प्रकाश डालिए।
- प्रश्न- वेलेजली की उपलब्धियों का मूल्यांकन कीजिए।
- प्रश्न- ठगी को समाप्त करने के लिए लार्ड विलियम बैंटिक ने कहां तक सफलता प्राप्त की?
- प्रश्न- ब्रिटिश कम्पनी की भारत में आर्थिक एवं शैक्षिक नीति की विवेचना कीजिए।
- प्रश्न- लॉर्ड विलियम बेंटिक के प्रशासनिक एवं सामाजिक सुधारों का मूल्यांकन कीजिए।
- प्रश्न- लार्ड विलियम बैंटिक ने सती प्रथा तथा अन्य क्रूर प्रथाओं को बन्द करने की क्या नीति अपनाई? संक्षिप्त टिप्पणी लिखिए।
- प्रश्न- विलियम बैंटिक के समाचार पत्रों के प्रति उदार नीति पर संक्षिप्त टिप्पणी लिखिए।
- प्रश्न- विलियम बैंटिक के द्वारा नैतिक तथा बौद्धिक विकास के लिए किये गये शैक्षणिक सुधार पर संक्षिप्त टिप्पणी लिखिए।
- प्रश्न- बैंटिक के वित्तीय तथा न्यायिक सुधार पर संक्षिप्त टिप्पणी लिखिए।
- प्रश्न- लार्ड विलियम बैंटिक के प्रशासनिक एवं न्यायिक सुधारों पर संक्षिप्त टिप्पणी लिखिए।
- प्रश्न- ब्रिटिश भारत में स्त्रियों की स्थिति का संक्षिप्त वर्णन कीजिए।
- प्रश्न- भारत पर ब्रिटिश शासन के सामाजिक प्रभाव का संक्षिप्त उल्लेख कीजिए।
- प्रश्न- अंग्रेजों द्वारा पारित सामाजिक कानून पर निबन्ध लिखिए।
- प्रश्न- 1833 के चार्टर एक्ट पर एक टिप्पणी लिखिए।
- प्रश्न- लार्ड डलहौजी की 'हड़पनीति से आप क्या समझते हैं? इस नीति से ब्रिटिश साम्राज्यवाद को कैसे प्रोत्साहन मिला?
- प्रश्न- - डलहौजी के द्वारा किए गए रचनात्मक कार्यों का वर्णन कीजिए।
- प्रश्न- लार्ड डलहौजी द्वारा विद्युत तार एवं डाक सुधार पर संक्षिप्त टिप्पणी लिखिए।
- प्रश्न- लार्ड डलहौजी द्वारा रेलवे विभाग में क्या सुधार किये गये?
- प्रश्न- लार्ड डलहौजी के प्रशासनिक एवं सैनिक सुधारों पर संक्षिप्त टिप्पणी लिखिए।
- प्रश्न- भारत के आधुनिकीकरण में लार्ड डलहौजी का योगदान क्या था?
- प्रश्न- लार्ड डलहौजी को शिक्षा सम्बन्धी सुधारों में कहां तक सफलता प्राप्त हुई? स्पष्ट कीजिए।
- प्रश्न- 1853 के चार्टर एक्ट पर टिप्पणी लिखिए।
- प्रश्न- रणजीत सिंह का परिचय देते हुए अफगानों एवं अंग्रेजों के साथ सम्बन्धों की विवेचना कीजिए।
- प्रश्न- अंग्रेजों और सिक्खों के प्रथम युद्ध के कारण व प्रसिद्ध घटनाओं और परिणामों का वर्णन कीजिये।
- प्रश्न- रणजीत सिंह का डोंगरों और नेपालियों से सम्बन्ध को संक्षिप्त में समझाइये |
- प्रश्न- रणजीत सिंह के प्रशासन के अंतर्गत भूमिकर एवं न्याय प्रशासन पर संक्षिप्त टिप्पणी लिखिए।
- प्रश्न- रणजीत सिंह ने सैनिक प्रशासन में कहाँ तक सफलता प्राप्त की? संक्षिप्त टिप्पणी लिखिए।
- प्रश्न- प्रथम आंग्ल-सिख युद्ध का वर्णन कीजिए।
- प्रश्न- सिक्खों और अंग्रेजों के सम्बन्धों की विवेचना कीजिए।
- प्रश्न- हैदराबाद के एक राज्य के रूप में उदय की परिस्थितियों की विवेचना कीजिए।
- प्रश्न- हैदराबाद अकस्मात ही विघटनकारी शक्तियों का शिकार हो गया था, विवेचनात्मक उत्तर दीजिये।
- प्रश्न- 1724-1802 तक की हैदराबाद की राजनीतिक गतिविधियों का अवलोकन कीजिये।
- प्रश्न- टीपू की शासन प्रणाली का सविस्तार से वर्णन कीजिए।
- प्रश्न- मैसूर राज्य का विस्तृत अध्ययन कीजिए।
- प्रश्न- एंग्लो-मैसूर युद्धों का समीक्षात्मक अध्ययन कीजिये।
- प्रश्न- टीपू सुल्तान और मैसूर पर संक्षिप्त टिप्पणी लिखिये।
- प्रश्न- मैसूर व इतिहास लेखन पर संक्षिप्त टिप्पणी लिखिये।
- प्रश्न- 18वीं सदी में, मैसूर की स्थिति से संक्षिप्त रूप से परिचित कराइये।
- प्रश्न- 1399 ईस्वी से अठारहवीं सदी के मध्य मैसूर राज्य की स्थिति से अवगत कराइये।
- प्रश्न- स्थायी बंदोबस्त से क्या आशय है? लार्ड कार्नवालिस द्वारा स्थायी बंदोबस्त लागू करने के क्या कारण थे?
- प्रश्न- ब्रिटिश सरकार द्वारा भारतीयों पर भिन्न-भिन्न कर प्रणाली लगाने का क्या उद्देश्य रहा?
- प्रश्न- स्थायी बंदोबस्त ने किस प्रकार जमींदारी व्यवस्था को जन्म दिया?
- प्रश्न- भारतीय पुनर्जागरण के कारणों, परिणामों एवं विशिष्टताओं का वर्णन कीजिए।
- प्रश्न- 19वीं शताब्दी के प्रमुख सामाजिक-धार्मिक आन्दोलनों को बताइये।
- प्रश्न- क्या राजा राममोहन राय को 'आधुनिक भारत का पिता' कहना उचित है?
- प्रश्न- भारतीय सामाजिक तथा धार्मिक पुनर्जागरण में आर्य समाज की देनों का उल्लेख कीजिए।
- प्रश्न- ब्रह्म समाज के प्रमुख सिद्धान्तों व कार्यों का वर्णन कीजिए।
- प्रश्न- भारत के सामाजिक-धार्मिक पुनरुत्थान में स्वामी विवेकानन्द के योगदान का विवरण दीजिए।
- प्रश्न- 19-20वीं सदी के जातिवाद विरोधी आंदोलनों का वर्णन कीजिए।
- प्रश्न- अहिंसा और सत्याग्रह पर गाँधी जी के विचारों का मूल्याँकन कीजिए।
- प्रश्न- रामकृष्ण परमहंस पर एक संक्षिप्त लेख लिखिए।
- प्रश्न- अछूतोद्धार हेतु भीमराव अम्बेडकर के किए गये कार्यों का वर्णन कीजिए।
- प्रश्न- आधुनिक भारत में महिलाओं की स्थिति पर प्रकाश डालिए।
- प्रश्न- एक शासक के रूप में अशोक के महत्व का मूल्यांकन कीजिए।
- प्रश्न- अस्पृश्यता से आप क्या समझते हैं? इसकी समस्याओं की विवेचना कीजिए।
- प्रश्न- भारतीय पुनर्जागरण का क्या अर्थ है?
- प्रश्न- ब्रह्म समाज से आप क्या समझते हैं?
- प्रश्न- प्रार्थना समाज ने समाज सुधार की दिशा में क्या कार्य किए?
- प्रश्न- ईश्वर चन्द्र विद्यासागर के समाज सुधार में किए गए कार्यों का संक्षिप्त वर्णन कीजिए।
- प्रश्न- आर्य समाज की मुख्य शिक्षाएँ व समाज सुधार में किए गए योगदान का वर्णन कीजिए।
- प्रश्न- थियोसोफिकल सोसाइटी पर एक संक्षिप्त लेख लिखिए।
- प्रश्न- स्वामी विवेकानन्द के सामाजिक सुधारों का वर्णन कीजिए।
- प्रश्न- भारत में 19वीं सदी में हुए विभिन्न सुधारवादी आन्दोलनों का संक्षिप्त विवरण दीजिए।
- प्रश्न- अश्पृश्यता निवारण के लिए महात्मा गाँधी की सेवाओं का मूल्याँकन कीजिए।
- प्रश्न- 20वीं सदी में हुए प्रमुख सामाजिक सुधारों का वर्णन कीजिए।
- प्रश्न- समाजवाद पर नेहरू के विचारों का उल्लेख कीजिए।
- प्रश्न- आधुनिक काल में जाति प्रथा पर एक संक्षिप्त लेख लिखिए।
- प्रश्न- भारतीय समाज पर पड़े दो पाश्चात्य प्रभावों का उल्लेख कीजिए।
- प्रश्न- नाविक विद्रोह 1946 का महत्व स्पष्ट कीजिए।
- प्रश्न- स्वदेशी विचार के विकास का वर्णन कीजिए।
- प्रश्न- होमरूल से आप क्या समझते हैं?
- प्रश्न- साम्प्रदायिक निर्णय 1932 ई. की समीक्षा कीजिए।
- प्रश्न- दाण्डी यात्रा का संक्षिप्त विवरण प्रस्तुत कीजिए।
- प्रश्न- श्री अरविन्द घोष के जीवन पर प्रकाश डालिए।
- प्रश्न- रामकृष्ण मिशन के कार्यों का वर्णन कीजिए।
- प्रश्न- चैतन्य महाप्रभु पर एक टिप्पणी लिखिए।
- प्रश्न- 'पुरुषार्थ आश्रमों के मनोनैतिक आधार हैं। टिप्पणी कीजिए।
- प्रश्न- उन्नीसवीं सदीं में सामाजिक जागरण के क्या कारण थे?